श्रवण-दोष (Hearing Loss) क्या है?

श्रवण-दोष लोगों की कम सुनने की समस्या होती है, जिससे लोगों को सम्प्रेषण (communication) में बाधा उत्पन्न होती है, और एक दूसरे की बातों को ठीक से नहीं सुन पाते हैं, जिसकी वजह से लोगों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग तनाव के कारण अपने जरूरी कार्य ठीक से नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण व्यक्ति के मानसिक, शैक्षणिक, एवं रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। श्रवण-दोष को ठीक करने के लिए कुछ जांचें कराई जाती हैं। ये जांचें इस प्रकार होती हैंः-

  • ENT Check up

 

  • Pure Tone Audiometry (PTA)

 

  • Impedance Audiometry

 

  • Otoacoustic emission (OAE)

 

  • The Auditory Steady – State Response (ASSR)

 

  • Brainstem Evoked Response Audiometry (BERA), etc.

 

श्रवण-दोष होने के कारणः-

  1. गर्भ के दौरान मां का धूम्रपान करना, मां के खान-पान में कमी, मां का पैर फिसलने से चोट लगना, मां का लम्बे समय तक बीमार रहना, प्रसव के समय जटिलताऐं उत्पन्न होना, सीजेरियन पद्धति से प्रसव कराने से श्रवण-दोष हो सकता है।

 

  1. बहुत तेज आवाजों के पास से गुजरना, लगातार तेज आवाज के आस-पास कार्य करना, कान के पास बम फटने से श्रवण-दोष होने का खतरा रहता है। 

 

  1. लगातार कान में हैड फोन या लीड उपयोग करने से भी श्रवण-दोष हो सकता है।

 

  1. बढ़ती उम्र के कारण भी अधिकतर श्रवण-दोष हो जाता है। उम्र के तौर पर 40 साल से ऊपर के लगभग सभी व्यक्तियों को श्रवण-दोष पाया जाता है। 

 

  1. कान में संक्रमण होने के कारण भी श्रवण-दोष हो सकता है।

 

  1. कान में नुकीली वस्तु डालने से भी श्रवण-दोष होने का खतरा रहता है।

 

  1. कान पर जोरदार थप्पड़ मारने से कान का पर्दा फट सकता है, और श्रवण-दोष हो जाता है। 

 

  1. बच्चे को पीलिया होने से श्रवण-दोष होने का डर रहता है। 

 

  1. Ototoxic दवाईयों के सेवन करने से श्रवण-दोष हो सकता है।

 

  1. आनुवांसिक (genetic) श्रवण-दोष भी हो सकता है। 

 

श्रवण-दोष के प्रकारः-

श्रवण-दोष चार प्रकार का होता है-

  • संवेदी तंत्रिका (sensorineural) श्रवण-दोषः यह स्थाई श्रवण-दोष होता है। इसमें व्यक्ति के कान की संवेदी तंत्रिकाएं कमजोर होने से कम सुनाई देने लगता है।


  • प्रवाहकीय (Conductive) श्रवण-दोषः यह श्रवण-दोष कान में पूरी तरह मे संक्रमण होने से होता है, जिससे व्यक्ति कम सुनने लगता है। इसमें कान का बहना, कान में छेद होना, कान में दर्द होना इसके लक्षण होते हैं। 

 

  • मिश्रित (Mixed) श्रवण-दोषः यह दोनों प्रकार का श्रवण-दोष होता है, संवेदी तंत्रिका और प्रवाहकीय श्रवण-दोष। कान में लम्बे समय तक संक्रमण होने के कारण कान की संवेदी तंत्रिकाएं प्रभावित हो जाती हैं। जिससे व्यक्ति को कम सुनने लगता है। 


  • मनःविकार (psychogenic) श्रवण-दोषः इसमें व्यक्ति कम सुनने का नाटक करता है। कभी व्यक्ति को बिलकुल नहीं सुनाई देता है, और कभी-कभी बहुत अच्छा सुनाई देने लगता है।  

 

श्रवण-दोष के स्तर (Level): स्तर के आधार पर श्रवण-दोष-

  • 0   dB to 25 dB —————Normal hearing sensitivity   

               

  • 26 dB to 40 dB ————– Mild hearing loss     

              

  • 41 dB to 55 dB ————– Moderate hearing loss   

            

  • 56 dB to 70 dB ————– Moderately Severe hearing loss

 

  • 71 dB to 90 dB ————– Severe hearing loss  

                  

  • 91 dB above   —————  Profound hearing loss  

 

श्रवण-दोष के लक्षणः-     

  • शोर-गुल वाले वातावरण में सुनाई देना मुश्किल होता है।

 

  • ठीक से सुना नहीं कृपया दोबारा बोलिए।

 

  • टेलीवीजन या मोबाइल की आवाज बढ़ाकर रखना।

 

  • कान में लगातार आवाज आना या टिनीटस की समस्या होना।





श्रवण-दोष का उपचारः-

इसका उपचार निम्न तरीके से किया जा सकता है–

  • श्रवण-यंत्रः आज-कल बाजार में नई-नई तकनीक के श्रवण-यंत्र उपलब्ध हैं। जो श्रवण-दोष वाले व्यक्ति के लिए काफी कामगर हैं, यह उस व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार का श्रवण-यंत्र लगवाना चाहता है, अदृश्य, कान के पीछे वाला या रिचार्जिंग बैटरी वाला श्रवण-यंत्र ।


  • कॉक्लियर इम्प्लांट तकनीकः इस तकनीक के माध्यम से 100% बधिर व्यक्ति या बच्चा भी बड़ी खूूबसूरती से सुनने लगता है। यह तकनीक जहां श्रवण-यंत्र कार्य नहीं करता है, वहां यह तकनीक उपयोगी होती है, जैसेः- गम्भीर और अति-गम्भीर श्रवण-दोष के लिए यह तकनीक बहुत ही उपयोगी होती है। यह तकनीक थोड़ी अधिक खर्चीली होती है। इसे हर कोई नहीं लगवा सकता है। इस तकनीक के माध्यम से एकदम सामान्य जीवन जी सकता है, हर कार्य सामान्य तरीके से कर सकता है; पढ़ना-लिखना, खेलना-कूदना, बात-चीत करना, एवं सुनना-बोलना, आदि।


  • Assistive Listening Devices (ALDs):- सुनने संबंधी सहायक यंत्र, जिससे सनने का अभ्यास किया जा सकता है। इनको बड़े ही ध्यान से सुनने से एक आदत बनती है। ये यंत्र टेलीवीजन और एफ एम सिस्टम को एम्प्लीफाई करके सुना जा सकता है।  


  • Communication Strategies:- ऐसे लोगों के कम्यूनिकेशन का अभ्यास ज्यादा से ज्यादा कराने से समझाना आसान होता है। इसमें हम इनको लिप रीडिंग, सांकेतिक भाषा, ऐप्स (Apps) के द्वारा भी बात-चीत करने का अभ्यास करा सकते हैं। Captioning करके भी बोलचाल की भाषा सिखा सकते हैं।


  • Medical/ Surgical Treatments:- यदि किसी व्यक्ति के कान में या सुनने के रास्ते में किसी प्रकार का संक्रमण या ट्यूमर या अप्राकृतिक बनावट होने से सुनने में कठिनाई आती है तो इसको मैडीकल या सर्जीकल इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है। 



इसमें श्रवण-दोष के बारे में लगभग सभी जालकारी साझा की गई है। इसके अंतर्गत श्रवण-दोष क्या है, श्रवण-दोष के प्रकार और स्तर, श्रवण-दोष के कारण, श्रवण-दोष के लक्षण, एवं श्रवण-दोष का उपचार किस प्रकार सम्भव हो सकता है, के बारे में अच्छे से बताया गया है। आप लोगों गुजारिश है कि इसे पढ़कर किसी जरूरतमंद को इसकी जानकारी साझा करें, जिससे किसी जरूरतमंद के काम आ सके, धन्यवाद।



Scroll to Top